− दो बार हुए थे पाजिटिव, घर से ही निभाए दायित्व
− लोगों से कोविड प्रोटोकाल का पालन करके सुरक्षित रहने की अपील
संतकबीरनगर । उनके पास जिले में आयी कोविड की महामारी को नियन्त्रण करने का विशेष दायित्व था। कोविड की दोनों लहर में वे पाजिटिव भी हुए, लेकिन अपने दायित्वों का निर्वहन वे बखूबी करते रहे। घर से ही अपने दायित्वों का निर्वहन किया तथा स्वस्थ होकर जनसेवा में इस तरह से लग गए मानो कुछ हुआ ही न हो। आज भी वह हर मिलने वाले व्यक्ति से कोविड प्रोटोकाल का पालन करने की अपील करते दिख जाते हैं।
हम बात कर रहे हैं जिले के एपीडेमियोलाजिस्ट ( जिला महामारी रोग विशेषज्ञ ) डॉ मुबारक अली की जो कोविड पीड़ितों की सेवा में लगे हुए हैं। डॉ मुबारक अली बताते हैं कि उन्होने कोविड काल की शुरुआत से ही तत्कालीन जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ ए के सिन्हा तथा प्रयोगशाला सहायक शैलेन्द्र श्रीवास्तव के साथ पहले कोविड पीड़ितों का सुरक्षा के कम संसाधनों के बावजूद सैम्पल लिया तथा चीन से आने वाले लोगों की निगरानी की। रैपिड रिस्पांस टीम के साथ मिलकर कोविड पीड़ितों की सेवा की। लेकिन इतनी सावधानियों के बाद भी वह खुद को कोविड पाजिटिव होने से नहीं बचा सके। कोविड की पहली लहर के दौरान अप्रैल 2020 में तथा दूसरी लहर के दौरान मई 2021 में कोविड पाजिटिव हुए। सैम्पलिंग, ट्रैकिंग, डाटा मैनेजमेंट, कोविड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से लेकर विभिन्न जिम्मेदारियों का उन्होंने निर्वहन किया।
जिले में पुलिस, प्रशासन तथा चिकित्सा विभाग की जुबान पर कोविड की किसी भी समस्या का समाधान दिखता था तो वह डॉ मुबारक अली के पास था। कोविड पाजिटिव हुए तो घर पर क्वारंटीन हुए। इस दौरान परिवार से बात करने के लिए उनके पास घर की एक खिड़की ही थी। वहीं से भोजन लेते तथा परिवार के अन्य सदस्यों से बात करते थे। घर के एक कमरे को कोविड नियन्त्रण केन्द्र बना दिया। वहीं से टीम को निर्देश देते थे तथा उनके डाटा मैनेजर सर्वेश खिड़की पर आकर रिपोर्ट का आदान प्रदान करते रहे। आज यूं तो कोविड के मामले कम हो गए हैं, लेकिन आज भी डॉ मुबारक अली जनपद को कोविड मुक्त बनाने के अपने अभियान में लगे हुए हैं।
पत्नी ने दिया हर कदम पर सहयोग
डॉ मुबारक अली बताते हैं कि दोनों बार पाजिटिव होने के दौरान उनकी पत्नी रुखसार मलिक (गृहिणी) का सहयोग निरन्तर मिलता रहा। उन्होने इम्यूनिटी कमजोर न हो इसके लिए पोषक तत्वों से युक्त भोजन दिया। साथ ही बच्चों को लेकर अलग कमरे में रहीं। दूसरी लहर के दौरान जब उनके दोनों बच्चे महविश (6) मलिक तथा माज मलिक (2) भी उनके साथ पाजिटिव हो गए तब भी उन्होने पूरी सावधानी का प्रयोग करते हुए बच्चों को अपने पास ही रखा लेकिन उनको छूने, भोजन कराने तथा नित्य क्रिया कराने में मास्क, ग्लब्स व सेनेटाइजर का प्रयोग किया । सावधानी के कारण वह कोविड की दोनों लहर में पाजिटिव नहीं हुयीं। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने से कोविड से बचा जा सकता है । डॉ. मुबारक अली का कहना है कि टीकाकरण करवाने के बाद भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते रहें।
निराशा के दौर में सहायक बने डॉ मोहन झा
डॉ. मुबारक बताते हैं कि दूसरी लहर में जब वह एक बार खुद कोविड पाजिटिव हुए तो उनके साथ उनके दोनों बच्चे भी पाजिटिव हो गए। उस समय आक्सीजन की किल्लत चल रही थी। बच्चों को कोविड अस्पताल में भर्ती कराना चाहते थे। इसके लिए उन्होने अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ मोहन झा से सम्पर्क किया तो उन्होने आकर बच्चों को देखा तथा दो दवाएं दीं और घर पर ही क्वारंटीन रहने को कहा। पांच दिन में बच्चे नेगेटिव हो गए तथा सातवें दिन वह खुद नेगेटिव हो गये। उस समय वह बच्चों को लेकर हताश हो गये थे, लेकिन दुरुह समय में डॉ मोहन झा के साथ ही अन्य सभी लोगों ने सहयोग दिया।