Friday, October 18, 2024
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पुरुषार्थी किसान और परवान चढ़ती कृषि योजनाएं – डॉ. आमोदकांत

पुरुषार्थी किसान और परवान चढ़ती कृषि योजनाएं – डॉ. आमोदकांत

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जब उत्तर प्रदेश के मेहनती और पुरुषार्थी किसानों को सरकारी नीतियों के आलोक में योजनाओं से आच्छादित किया गया तो उसने अपने पुरुषार्थ का बखूबी परिचय दिया। खाद्यान्न उत्पादन में उत्तर प्रदेश को देश का नंबर वन स्टेट तो बनाया ही, महाराष्ट्र को पछाड़ते हुए यूपी को गन्ना और चीनी उत्पादन में पहले पायदान पर पहुंचा दिया। दुनिया की सबसे उर्वरा भूमि और अच्छे जल संसाधन वाले इस जमीन पर खुद के परिश्रम का झंडा गाड़ दिया।

सरकारी प्रयास और किसान योजनाओं के बल पर कृषि के अनेक क्षेत्रों में आशातीत सफलताएं अर्जित की। यह बात अलग है कि पूर्ववर्ती सरकारों ने ऐसे किसानों के परिश्रम और पुरुषार्थ को अनदेखा किया। वर्ष 2017 से पूर्व गन्ना उत्पादन में यूपी, महाराष्ट्र से पीछे था। इसका प्रमुख कारण पूर्ववर्ती सरकारों में चीनी मिलों का बंद होना रहा। इन सरकारों ने बंद मिलों को चलवाने की बजाय, घाटे का सौदा समझा और मिलों को बेचना ही समस्या का समाधान समझा। वैसा ही किया भी।

सकारात्मक नीतियों के अभाव में अन्य चीनी मिलें बंद होने लगीं, लेकिन जब केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकारें गठित हुईं, तब इन सरकारों ने मिलकर किसान समस्याओं का समाधान ढूंढना शुरू किया। रास्ते भी मिले। अनेक योजनाओं से किसान अच्छादित हुए और उनकी मुश्किलें आसान होने लगीं। गन्ने की मिठास बढ़ी तो खेतों में हरियाली छाने लगी।

वाजिब मूल्य मिलने से किसानों के घर की खुशियां भी लौटीं। योजनाओं से आच्छादित किसानों का मनोबल इस कदर बढ़ा कि 28.50 लाख हेक्टेयर जमीन पर लगभग 839 कुंतल प्रति हेक्टेयर गन्ना उपज लेने वाला यूपी अब न सिर्फ देश का सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक है बल्कि महाराष्ट्र को चीनी उत्पादन में पछाड़ते हुए वर्ष 2023 में पहला स्थान हासिल कर लिया। अब भी यह सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहा है। वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश का गन्ना उत्पादन केवल 72 मिट्रिक टन था।

वर्ष 2023-24 में बढ़कर 84 मिट्रिक टन पहुंच गया है। इंडियन शुगर मिल्स (एस्मा) की रिपोर्ट यह बताती है कि वर्ष 2022 की अक्टूबर-दिसम्बर तिमाही के दौरान भारत का चीनी उत्पादन 11.64 मिलियन टन रहा, लेकिन वर्ष 2023 में 3.69 प्रतिशत बढ़ा और 12.07 मिलियन टन पहुंच गया। यह उपलब्धि उस समय है, जब महाराष्ट्र में की चालू हालत की 210 चीनी मिलों ने पेराई की और यूपी की कुल चीनी मिलों 157 की चालू हालत की सिर्फ 118 चीनी मिलों में पेराई हुई। इधर, सरकार ने गन्ना किसानों को अत्यधिक राहत देने के लिए एथनाल निर्माण का निर्णय लिया है।

सकारात्मक प्रभाव सामने आने की उम्मीद है। सरकार के इस निर्णय से गन्ना किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम मिलेगा। वाहन चलाने वाले आम नागरिक की सहूलियतें बढ़ेंगी। पेट्रोल-डीजल के दाम कम होंगे। आम व्यक्ति के पाकेट का बोझ भी कम होगा। हर व्यक्ति के सुख-दु:ख की साथी महिलाओं की आमदनी बढ़ाने और उन्हें कृषि में रोजगार उपलब्ध कराने के प्रयास भी अब शुरू हो चुके हैं। महिलाओं को अच्छा कृषक, खेती सलाहकार और उद्यमी के रूप में स्थापित करने के लिए सरकार ने कृषि सखी योजना शुरू की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 जून 2024 को कृषि सखी योजना की शुरुआत की, तब सरकार के मिशन को समझने में आसानी हुई। इसे ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को सशक्त, आत्मनिर्भर बनाने व उनके जीवन स्तर में सुधार लाने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है। महिलाएं आज प्रत्येक क्षेत्र में आगे हैं। अब उन्हें आधुनिक कृषि तकनीक और बेहतर खेती के तरीकों के बारे में ट्रेनिंग दी जाएगी। खेती-बाड़ी में रुचि रखने वाली ग्रामीण महिलाओं को कृषि से जुड़े विभिन्न कार्यों की जानकारियां देकर आत्मनिर्भर बनाया जाना आवश्यक भी है।

इस प्रयास से अब महिलाओं के कृषि उद्यमी बनने की राह खुलेगी। ये कृषि सलाह देकर या खुद का कृषि उद्यम शुरू कर कमाई भी कर सकेंगी। सोचिये, मृदा परीक्षण, बीज प्रसंस्करण, जैविक खाद निर्माण, फसल संरक्षण और कटाई आदि की वैज्ञानिक जानकारियां लेकर जब गाँव की महिलाएं पुरुषों के साथ कदमताल करेंगी, तब उन्हें कितना गर्व अनुभव होगा? एक उत्कृष्ट किसान के रूप में पहचाने जाने वाली महिला का आत्मबल कितना बढ़ा दिखेगा?

डबल इंजन सरकार ने उत्तर प्रदेश में कृषि विकास व किसान समृद्धि के लिए आय और उपज को बढ़ाने पर फोकस किया है। नीतिगत स्तर पर अनेक निर्णय लिए गये हैं। कृषि विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयास जैसे स्वायल हेल्थ कार्ड, सूक्ष्म सिंचाई की सुविधाएं, फसलों की ऊपज एवं बुवाई, कम पानी में अधिक फसलों की सिंचाई तथा आधुनिक तकनीक स्तर पर किये जा रहे प्रयासों में महिलाओं की भागीदारी से कृषि क्षेत्र की सूरत अवश्य ही बदलेगी।

सरकार अब वैज्ञानिक एवं व्यवहारिक दृष्टिकोण से इस क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। यही वजह है कि प्रतिकूल स्थितियों के बावजूद खाद्यान्न उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज करने में सफलता मिल रही है। वर्ष 2016-17 में 6.6 रहने वाली कृषि विकास दर वर्ष 2023-24 में 18.20 तक पहुंच चुकी है। कृषि क्षेत्र भी सत्र 2016-17 के सापेक्ष बढकर 29.66 लाख हेक्टेयर तक पहुंचा है।

यह सरकारी योजनाओं के बल पर पुरुषार्थी किसानों द्वारा किया गया कार्य नहीं तो और क्या है? इधर, प्राकृतिक कारणों से फसलों के नुकसान की स्थिति में सरकार ने किसानों की आर्थिक सुरक्षा का ख्याल रखा है। नष्ट फसल पर मुआवजा देने और खड़ी फसल का बीमा जैसे नीतिगत फैसलों ने किसानों में सुरक्षा का भाव पैदा किया है। खाद्यान्न उत्पादन में आत्म-निर्भरता की ओर बढ़ चला यूपी अब खुशहाली की राह बढ़ रहा है। इसे न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलोक में देखा जाना शायद ज्यादा श्रेयस्कर होगा। केंद्र सरकार ने हाल ही में 14 खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया है।

घोषित हुए 14 खरीफ फसलों के एमएसपी में आधा दर्जन फसलों के दाम दोगुने से अधिक हो चुके हैं। वर्ष 2013-14 ज्वार हाइब्रिड का एमएसपी महज 1500 रुपये प्रति कुंतल था, जिसे वर्ष 2024-25 में बढ़ाकर 3371 रुपये कर दिया गया है। ज्वार मालदंडी का 1520 के सापेक्ष 3421 रुपये, बाजरा का 1250 के सापेक्ष 2625 रुपये, रागी का 1500 के सापेक्ष 4290 रुपये और तिल का 4500 के सापेक्ष 9267 रुपये प्रति कुंतल हुआ है। यह किसानों के अच्छे दिन आने के संकेत नहीं हैं तो क्या हैं? इसे सरकार के उस वादे के पूरा होने की ओर बढ़ रहा कदम भी कह सकते हैं, जिसमें किसानों की आमदनी दोगुनी होने की बात कही गयी थी।

पीएम किसान सम्मान निधि योजना भी कुछ ऐसी ही सफल योजनाओं में से एक है। दुनिया की सबसे बड़ी प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजनाओं में से एक इस योजना के माध्यम से केंद्र सरकार ने देश के लगभग 11 करोड़ किसानों के खातों में 3.03 लाख करोड़ रुपये से अधिक रुपये हस्तान्तरित किये हैं। यूपी के 2.76 करोड़ किसानों को भी 72,515.67 करोड़ रुपये मिला है।

डीबीटी से बैंक अकाउंट्स में तीन समान किस्तों में प्रतिवर्ष हस्तान्तरित होने वाले 6000 रुपये ने किसानों को आर्थिक सम्बल दिया है। उनके परिवारों में समृद्धि आई है। कृषि क्षेत्र में भी सकारात्मक बदलाव दृष्टिगोचर हैं। हर साल हजारों करोड़ रुपये का ट्रांसफर, बिना किसी बिचैलिये और कमीशन के मिलना भी अपने आपमें बड़ा कार्य है। छोटे किसान तो बहुत खुश हैं। वे भी अब अच्छी क्वालिटी के बीज खरीदने, खाद और अच्छे व आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल करने में सक्षम हैं। वर्ष 2019 में शुरू हुई पीएम किसान योजना के प्रारंभ में लाभार्थियों की संख्या महज 3.16 करोड़ था। अब यह संख्या 11 करोड़ से अधिक होना योजना की सफलता की गवाही है। सरकार की चिंता किसानों की फसलों की पशुओं से सुरक्षा का भी है।

तीन नई योजनाओं से इस समस्या से निजात की कवायद शुरू हुई है। प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री खेत सुरक्षा योजना लांच कर खेतों की मेड़ पर सोलर फेंसिंग का निर्णय लिया है। यह छुट्टा पशुओं को नियंत्रित और फसल को सुरक्षित करने का प्रयास है। सोलर फेसिंग से निकलने वाला 12 वोल्ट का करंट पशुओं को फसल से दूर करेगा। झटके सहने में मानव भी सक्षम है। एक बार फिर, डबल इंजन सरकार बनने से किसानों की सहूलियतें बढ़ने की उम्मीद को पंख लगने तय हैं।

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