Thursday, September 19, 2024
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मख क्षेत्र मखौड़ा धाम में दो दिवसीय मेले का शुभारंभ

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मख क्षेत्र मखौड़ा धाम में दो दिवसीय मेले का शुभारंभ

परशुरामपुर (बस्ती) । मखक्षेत्र मखौड़ा धाम में शनिवार को चैत पूर्णिमा के अवसर पर दो दिवसीय मेले का शुभारंभ लोगों ने पवित्र मनोरमा नदी में स्नान दान व राम जानकी मंदिर में पूजन अर्चन कर किया। भोर में ही मंदिर में घंटा घड़ियाल की शंख ध्वनि से मेला क्षेत्र गुंजायमान हो उठा। मेले में योगिनी मिट्टी के बर्तन की सजी दुकानें ड्रैगन झूला बच्चों की ट्रेन चाट जलेबी मिठाई की दुकानें आकर्षण का केंद्र रही मेला क्षेत्र में बाटी चोखा लगाकर लोगों ने प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया बच्चों महिलाओं ने घूमकर मेले का आनंद लिया ।


गौरतलब है कि त्रेता युग में चक्रवर्ती सम्राट महाराज दशरथ जी को चौथे पन में पुत्र प्राप्ति का मोह जगा वे शोक में डूब गए गुरु वशिष्ठ को अपनी पीड़ा बताई गुरु वशिष्ट ने योग शक्ति से विचार किया कि पुत्रकामेष्ठी यज्ञ कराने से महाराज को पुत्र की प्राप्ति होगी इसी उद्देश्य पूर्ति हेतु यज्ञ के लिए भूमि की तलाश की गई उस समय यह स्थान यज्ञ के लिए सबसे पवित्र माना गया कहा जाता है कि क्षेत्र में उद्दालक ऋषि की तपोभूमि से एक नदी की जलधारा प्रवाहित होने लगी जो मनोरमा गंगा कलाई कहलाई और यज्ञ संपन्न होने के नाते यह स्थान मख क्षेत्र मखौड़ा धाम कहलाया यज्ञ के आचार्य के लिए विभाण्डक ऋषि के पुत्र श्रृंगी ऋषि को बुलाया गया श्रृंगी ऋषि ने यज्ञ करवाई पुत्रकामेश्ठि यज्ञ का हव्य प्रसाद ग्रहण करने के उपरांत केकई कौशल्या सुमित्रा को भगवान राम भरत लक्ष्मण शत्रुघ्न प्राप्त हुए सभी से इस क्षेत्र में एक विशाल मेला लगता चला रहा है ऐसी मान्यता है कि आज के दिन मनोरमा में स्नान भगवान राम के दर्शन पूजन अर्चन करने से लोगों के मनोरथ पूर्ण होते हैं उद्दालक ऋषि के पुत्र नचिकेता ने नचिकेता पुराण में मनोरमा के महत्व का वर्णन किया है अन्य क्षेत्रे कृतंपापम व्यापम काशी क्षेत्रे विनश्यति, काशी क्षेत्रे कृतं पपम प्रयाग क्षेत्रे विनश्यति। प्रयाग क्षेत्रे कृतं पपम मनोरमा विनश्यति ।अर्थात किसी भी क्षेत्र में किए गए पापों का शमन काशी में स्नान करने से होता है काशी क्षेत्र में किए गए पाप प्रयाग में स्नान करने से नष्ट होते हैं लेकिन मनोरमा क्षेत्र में किए गए पाप बज्र के समान घातक होते हैं मकोड़ा क्षेत्र से ही 84 योनियों से मुक्ति के लिए पूर्णिमा के अगले दिन भोर में साधु संतों की 84 कोसी परिक्रमा का शुभारंभ भी होता है मेला क्षेत्र की सुरक्षा के लिए व्यापक पुलिस बल मौजूद रहा मंदिर के महंत श्री नारायण वैदिक ने बताया कि विगत कार्तिक पूर्णिमा से 12 वर्षों तक निरंतर चलने वाले अखंड राम नाम संकीर्तन का शुभारंभ भी यहां पर किया गया है इस आयोजन में क्षेत्र एवं दूर दराज के लोग सम्मिलित होकर अपने मनोरथ को पूर्ण कर रहे हैं ।

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