Sunday, September 8, 2024
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पीलिया रोग के कारण एवं घरेलू उपचार -Part-1: आचार्य डॉ आर पी पांडे

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पीलिया रोग के कारण एवं घरेलू उपचार -Part-1: आचार्य डॉ आर पी पांडे

पीलिया शरीर मेँ छिपे किसी अन्य रोग का लक्षण है।
नवजात शिशुओं में यह रोग सामान्य रुप से पाया जाता है।
रोग के लक्षण धीरे-धीरे ही स्पष्ट होते है।
एकदम से पीलिया होने की संभावना कम ही होती है।
पीलिया रोग का कारण

रक्त में बिलरुबिन (bilirubin) के बढ़ जाने से त्वचा, नाखून और आंखों का सफेद भाग पीला नजर आने लगता है, इस स्थिति को पीलिया या जॉन्डिस (Jaundice) कहते हैं। बिलरुबिन पीले रंग का पदार्थ होता है। ये रक्त कोशिकाओं में पाया जाता है। जब ये कोशिकाएं मृत हो जाती हैं, तो लिवर इनको रक्त से फिल्टर कर देता है। लेकिन लिवर में कुछ दिक्कत होने के चलते लिवर ये प्रक्रिया ठीक से नहीं कर पाता है और बिलरुबिन बढ़ने लगता है। नवजात बच्चों में जब लिवर का विकास ठीक से नहीं होता तब भी बिलरूबिन तेजी से बढ़ने लगता है जितनी रफ्तार से लिवर उसे बाहर नहीं निकाल पाता। लिवर की बीमारी से ग्रस्त लोगों को भी इस समस्या से गुजरना पड़ता है।

आंख, शरीर और यूरिन पीला होना पीलिया के लक्षण (Jaundice symptoms) में शामिल है। बड़ों की तुलना में इस बीमारी को होने की संभावना न्यू बोर्न बच्चों में ज्यादा होती है। जॉन्डिस शरीर में बिलिरुबिन के लेवल (Bilirubin level) बढ़ने की वजह से होता है।

बिलिरुबिन हर मनुष्य के शरीर में एक पीले रंग का द्रव्य होता है, जो खून और मल में प्राकृतिक रूप से मौजूद होता है। शरीर में मौजूद रेड ब्लड सेल्स (Red Blood Cells) टूटने की वजह से बिलिरुबिन (Bilirubin) का निर्माण बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में जब लिवर बिलिरुबिन के स्तर को संतुलित नहीं बना पाता है, तो ऐसे में बिलिरुबिन शरीर में बढ़ जाता है। शरीर में बिलिरुबिन का स्तर बढ़ना जॉन्डिस (Jaundice) की दस्तक माना जाता है।

जब जिगर से आंतों की ओर पित्त का प्रवाह रुक जाता है तो पीलिया रोग प्रकट होता होता है। पित्त के जिगर में इकट्ठा होकर रक्त में संचार करने से शरीर पर पीलापन स्पष्ट दिखने लगता है।
पीलिया रोग प्रमुख रुप से दो प्रकार का होता है..
पहला..
अग्न्याशय के कैंसर या पथरी के कारण।
यह पित्त नलिकाओं अवरोध होने से आंतों मेँ पित्त नहीं पहुंचने के कारण होता है।

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दूसरे प्रकार का पीलिया
लाल रक्त कोशिकाओं के प्रभावित होने तथा शरीर में पित्त की अत्यधिक उत्पत्ति से होता है। मलेरिया तथा हैपेटाइटिस रोग भी पीलिया के कारण होता है। कभी-कभी शराब तथा विष के प्रभाव से भी पीलिया रोग हो जाता है।

रोगी की त्वचा पीली पड़ जाती है। आंखों के सफेद भाग में पीलापन झलकना भी पीलिया के प्रमुख लक्षण है। इसके अतिरिक्त मूत्र में पीलापन आ जाता है तथा सौंच सफेद रंग का होता है। त्वचा पर पीलापन छाने से पहले त्वचा मेँ खुजली होती है।

  1. बड़ा पहाड़ी नीबू का रस पित्त प्रवाह में सुचारु रुप से करने में सहायक होता है।
    2. कच्चे आम को शहद तथा कालीमिर्च के साथ खाने से पित्त जन्य रोगो मे लाभ होता है और जिगर को बल मिलता है।
    3. चुकंदर का रस भी पित्त प्रकोप को शांत करता है। इसमें एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर प्रयोग करते रहने से शीघ्र लाभ होता है।
    4. चुकंदर के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से भी पीलिया रोग शांत होता है।
    5. सहजन के पत्तों के रास में शहद मिलाकर दिन में दो-तीन बार देने से रोगी को लाभ होता है।
    6. अदरक, नींबू और पुदीने के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर प्रयोग करना भी काफी फायदेमंद होता है।
    7. पीलिया के रोगी को मूली के पत्तो से बहुत अधिक लाभ होता है। पत्तों को अच्छी तरह से रगड़कर उसका रस छानें और उसमें छोटी मात्रा में चीनी या गुड़ मिला लें। पीलिया के रोगी को प्रतिदिन कम से कम आधा किलो यह रस देना चाहिए। इसके सेवन से रोगी को भूख लगती है और नियमित रुप से उसका मल साफ होने लगता है। रोग धीरे-धीरे शांत हो जाता है।
    8. एक गिलास टमाटर के रस में थोड़ा सा काला नमक और काली मिर्च मिला लें। इसे प्रातःकाल पीने से पीलिया रोग में काफी लाभ होता है और जिगर ठीक से काम करने लगता है।
    9. पीपल के पेड़ की 3-4 नई कोपलें अच्छी प्रकार से धोकर मिश्री या चीनी के साथ मिलाकर बारीक बारीक पीस लें। 200 ग्राम जल में घोलकर रोगी को दिन में दो बार पिलाने से 4-5 दिनों मेँ पीलिया रोग से छुटकारा मिल जाता है। पीलिया के रोगी के लिए यह एक बहुत ही सरल और प्रभावकारी उपाय है।
    10. फिटकिरी को भूनकर उसका चूर्ण बना लें। 2 से 4 रती तक दिन में दो या तीन बार छाछ के साथ पिलाने से कुछ ही दिनों में पीलिया रोग में आराम होना शुरु हो जाता है।
    11. कासनी के फूलों का काढ़ा बनाकर 50 मिलीलीटर तक की मात्रा में दिन में तीन-चार बार देने से पीलिया रोग में लाभ होता है। इसका सेवन करने से बढ़ी हुई तिल्ली भी ठीक हो जाती है। पित्त प्रवाह मेँ सुचरूता तथा जिगर और पित्ताशय को ठीक करने मेँ सहायता मिलती है।
    12. गोखरु की जड़ का काढ़ा बनाकर पीलिया के रोगी को प्रतिदिन 50 मिलीलीटर मात्रा दो-तीन बार देने से पीलिया रोग मेँ काफी लाभ होता है।
    13. एलोवेरा का गूदा निकाल कर काला नमक और अदरक का रस मिलाकर सुबह के समय देने से लगभग 10 दिनों में पीलिया का रोगी ठीक हो जाता है।
    14. कुटकी और निशोध दो देसी जड़ी बूटियाँ है।
    इन दोनोँ को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें।
    एक चम्मच चूर्ण गर्म जल में रोगी को दे।
    इस प्रकार दिन में दो बार देने से जल्दी लाभ होने लगता है।

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