“महादेवी वर्मा का साहित्यिक अवदान” विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का किया गया आयोजन
हिन्दी अनुभाग,महिला महाविद्यालय, काशी हिन्दू काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आज दिनांक 26/03/22को हिंदी साहित्य जगत के अंतर्गत छायावाद के एक प्रमुख स्तंभ के रूप में जानी जाने वाली तथा विराट व्यक्तित्व की धनी एवं विपुल साहित्य की निर्मात्री महादेवी वर्मा के जन्म जयंती के उपलक्ष में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का “महादेवी वर्मा का साहित्यिक अवदान” विषयक आयोजन किया गया
आयोजन के मुख्य अतिथि काशी विद्यापीठ के हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनुराग कुमार थे, जिन्होंने महादेवी वर्मा के काव्य लोक पर प्रकाश डालते हुए बताया कि, “महादेवी के काव्यलोक को उनके द्वारा लिखित गद्य के माध्यम से ज्यादा या हद तक समझ सकते हैं।”कार्यक्रम की शुरुआत अनुभाग की अनुभागाध्यक्ष प्रोफेसर सुमन जैन के स्वागत वक्तव्य से हुई। कार्यक्रम की अगली कड़ी के रुप में अनुभाग के सहायक प्रोफेसर डाॅ०विवेकानंद उपाध्याय ने बीज वक्तव्य प्रस्तुत किया ।उन्होंने महादेवी वर्मा के द्वारा रचित कविताओं को एक ने दृष्टिकोण से समझाने की कोशिश की ।
इसी क्रम में महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्या प्रोफेसर चंद्रकला त्रिपाठी जो इस कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि भी रहीं ने अपने वैदुष्यपूर्ण उद्बोधन को प्रस्तुत करते हुए कहा कि “महादेवी भाषा के भीतर एक क्रांति करती हैं।”कार्यक्रम की अगली कड़ी के रूप में दिन भर के कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं पूर्व कला संकाय प्रमुख, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की प्रोफेसर रामकली सरार्फ मैडम ने कहा कि “महादेवी वर्मा की कविताओं में समर्पण की भावना है, आत्मा और परमात्मा के मिलन की भावना है।
“इस अवसर पर बी० ए० तृतीय वर्ष की छात्राओं के द्वारा काव्य पाठ भी प्रस्तुत किया गया।कार्यक्रम के समापन पर सभी का धन्यवाद कार्यक्रम की संयोजिका डॉ उर्वशी गहलोत ने अपने विचारों के माध्यम से कीं। कार्यक्रम का संचालन अनुभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ धीरेन्द्र नाथ चौबे ने किया ।इस अवसर पर इस एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की संरक्षिका प्रोफेसर इनू मेहता, कार्यक्रम के आयोजक सचिव सहायक प्रो. डॉ हरीश कुमार के साथ- साथ विंध्याचल यादव डॉ अवधेश मिश्र, डॉ सर्वेश पांडे के साथ-साथ भारी संख्या में शोध छात्र-छात्राएं उपस्थित रहें।